वेदों के ज्ञान की उपेक्षा होते ही हम पूरे विश्व में उपेक्षित हो गये। हमने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। हमारी ही कमियां थीं और हम में से अधिकांश लोगों को वेदों का ज्ञान नहीं था। तभी हमारे ज्ञान के भंडार का मजाक उड़ाया और वेदों का बखान करने वालों को भी उपक्षित नजरों से देखा गया। यही कारण था कि ज्ञान से वंचित विदेशी लोगों ने वेदो को गड़रिया के गीत और वेदों का गान करने वाले ऋषियों को संपेरा और बीन बजाने वाला कहकर मजाक उड़ाया और हम उनका मुंहतोड़ जवाब न दे सके क्योंकि हमें वेदों का ज्ञान ही नहीं था। हम उन बेहूदे लोंगों का ही समर्थन करते रहे क्योंकि हम आधुनिकता की होड़ में अंधे हो चुके थे। वेदों का ज्ञान प्राप्त करना आसान नहीं है। इसलिये लोगों ने वेदों को ही छोड़ दिया। लेकिन वेदों का अध्ययन करें तो पाया जायेगा कि हम दुनिया भर से अलग क्यों थे , क्यों हैं और क्यों रहेंगे। इस बारे में एक श्रंखला शुरू कर रहे हैं। यह सामग्री आम जन को वेदों के प्रति अभिरुचि जगाने के लिए वेद वैचित्र्य नामक पुस्तक से ली जा रही है। हम इस पुस्तक के लेखक एवं प्रकाशित करने वाली संस्था के प्रति आभार प्रकट करते हैं। आओ ...