पुकारता स्वदेश जाग-जाग नौजवान, हो गया प्रभातकाल नींद त्याग नौजवान। बन शिवा,प्रताप,राम,भीम,कृष्ण के समान, याद करके पूर्वजों की वीरता व स्वाभिमान। हमारे पूर्वजों ने अखण्ड, श्रेष्ठ महाभारत, वैदिक मूल्यों से भरपूर एवं स्वतन्त्र भारत का स्वप्न देखा था । कुछ अवसरवादी स्वार्थी तत्वों के कारण अपने देश पर कई बार सामाजिक,आर्थिक एवं राजनीतिक परेशानियां आर्इंं। इन सभी परेशानियों को हमारे महापुरुषों ने अपने तप-त्याग, ज्ञान एवं सूझबूझ से हल भी किया। आज हमने उन्हीं महापुरुषों को भुला दिया, उन्हें उपेक्षित कर दिया। महापुरुषों को लेकर जो राजनीति की जा रही है। उसका परिणाम सामने है कि ं वर्तमान काल में हमारा समाज अपने महापुरुषों से ही अनभिज्ञ है। आज के युवाओं को इन महापुरुषों से रूबरू कराना अति आवश्यक है क्योंकि जब तक हम अपने महापुरुषों, जो उन्होंने कर दिखाया व भारत का गौरव बढ़ाता है, उसे अपने जीवन में आत्मसात नहीं करेंगे तो आज भी देश पर छाये विभिन्न प्रकार के संकट दूर नहीं होगें। इसीलिए उपरोक्त कविता की चंद पंक्तियों के माध्यम से हम युवाओं से इस ओर ध्यान देने का आवाहन कर रहे हैं। क्योंकि कहा जाता ह...